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: कोरोना से मृत युवक दो साल बाद जिंदा लौटा ,रहस्य बरकरार,सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार

घटनाक्रम के बाद दो गांव बडवेली और कडोदकला कल दिनभर रहे सुर्खियो मे 

सरदारपुर । सरदारपुर तहसील का बडवेली और बदनावर तहसील का कडोदकला गांव शनिवार को सुर्खियो मे बना रहा। क्षेत्र से लेकर प्रदेश स्तर तक के मीडियाकर्मियों का कनेक्शन कल इन दोनों गांवों पर केंद्रित रहा । वेब पोर्टल,प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का ध्यान कल इन दोनों गांवों की और था । हो भी क्यो नही क्योकी मामला इतना बड़ा जो था।


दो वर्ष पूर्व कोरोना की दुसरी लहर के अंतिम दिनो मे जून 2021 मे कडोदकला के कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार को कोरोना जांच के दौरान पॉजिटिव आने पर उपचार के लिये बड़ौदा के  अस्पताल मे भर्ती कराया था। जहा पर तीन दिन मे ही युवक की मृत्यु बताकर परिजनों की बिना तस्दीक किये ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिजनों ने भी युवक का क्रिया कर्म कर दिया वही उसकी पत्नी ने भी कल्याणी का रूप ले लिया लेकिन उसे क्या पता था ही उसका पता अभी भी जीवित है।
कल जब अचानक युवक अपने मामा के गांव बडवेली पहुंचा तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दो वर्ष बाद जहा बहनो ने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी तो कमलेश ने पत्नी की मांग मे सिंदूर भरकर उसे सुहागन बनाया।
वैसे इस घटनाक्रम के बाद बडवेली मे दिन भर मीडियाकर्मियों  का जमावड़ा रहा लेकिन कमलेश किसी को भी पूरा घटनाक्रम बता नही पाया दो वर्षों मे उसके साथ क्या हुआ उसे पूरी तरह से याद नहीं वह केवल इतना बता पाया कि वह कुछ लोगों के चंगुल मे था जो उसे नशे का इंजेक्शन देकर काम करवाते थे शुक्रवार को उसे अन्य जगह ले जाया जा रहा था तभी वह उन्हें चकमा देकर भाग आया।


वैसे इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया पर कई सवालों को लेकर बहस का दौर जारी था। बड़ौदा के जिस अस्पताल मे कमलेश उपचारत था वह नामी गिरामी अस्पताल है जहा पर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हो सकती है। कमलेश बताकर जिस युवक का  अंतिम संस्कार किया वह फिर कौन था। अंतिम संस्कार के  बाद नियमानुसार मृत्यु प्रमाण पत्र के लिये परिजनों के सम्मुख कागजी कार्यवाही क्यो नही की गई। कमलेश उपचार के बाद यदि अस्पताल से स्वस्थ हुआ तो उसे डिस्चार्ज किया तो अस्पताल ने बिना राशी लिये उसे कैसे डिस्चार्ज कर दिया। ऐसे कई सवाल है जो इस रहस्य से पर्दा उठा सकते है।

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