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आजादी के 78 वर्ष लेकिन यह तस्वीर अच्छी नहीं : सुकड नदी के तेज बहाव से गुजर कर बच्चे जा रहे स्कुल, RES ने दो बार बनाया स्टीमेंट लेकिन नही मिली स्वीकृति

Bakhtavar Express

Fri, Aug 15, 2025

सोनू गुप्ता
गंधवानी। देश को आजादी के 78 वर्ष हो गए लेकिन स्कूली बच्चों को जोखिम लेकर नदी पार करनी होती है। आजाद भारत में स्कूली बच्चे अब भी नदी के बहाव से गुजर रहे। अंचल से लोट कर हमारे संवाददाता सोनू गुप्ता की  यह रिपोर्ट। हमारा देश आजादी के 78 वर्ष पूर्ण कर चुका है और 79 वे वर्ष में प्रवेश कर रहा है लेकिन हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में आजाद भारत में भी ऐसी तस्वीरें दिखाई देती है जो ठीक नहीं लगती यहां पर स्वतंत्र समय की टीम ग्राम पंचायत लेड़गांव के कामथा में सुकड़ नदी पर पहुंची यहां पर स्कूली बच्चों को गहरी नदी के पानी में गुजरकर स्कूल जाना होता है वर्तमान में बारिश कम है लेकिन नदी में बहाव बहुत ज्यादा है ऐसे में परिजन प्रतिदिन पानी के बीच बच्चों को स्कूल लेकर जाते हैं क्योंकि दूसरा रास्ता लगभग 12 किलोमीटर लंबा घूम कर जाता है ऐसे में समय और खर्च भी लगता है इसलिए लोग जोखिम लेकर नदी पार करते हैं स्वतंत्र समय की टीम ने ग्रामीणों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि बीते एक दशक से इसका सर्वे ही चल रहा है यहां पर पूल निर्माण नहीं हुआ अधिकारी आते हैं और देख कर चले जाते हैं जमीन पर काम कुछ नहीं है जो सबके सामने। (अपने ही गांव में 12 किलोमीटर का चक्कर लगाते हैं ग्रामीण) मामले में यहां पहुंची टीम ने ग्रामीणों से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि इस गांव के दूसरे फलिया के लोग नदी पार करके जाने के लिए 12 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाते क्योंकि यहां से मोटरसाइकिल निकलना भी मुश्किल है पैदल भी जोखिम लेकर जाते हैं ऐसे में अपने गांव के दूसरे फलिया में जाने के लिए लंबा चक्कर हम लोगों को लगाना पड़ता है पुलिया निर्माण होगा तो फायदा होगा। (स्कूली बच्चों को अधिक जोखिम बहाव तेज) यहां से गुजर रहे स्कूली बच्चों को लेकर जाने वाले परिजनों ने बताया कि जोखिम लेकर जाते हैं और वापस स्कूल से घर भी लेकर आते है यदि ऊपर तेज बारिश हो जाए तो पानी का बहाव एक दम तेज हो जाता है ऐसे में रिस्क भी रहती है लेकिन क्या करें मजबूरी में बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए इसी रास्ते से लेकर जाते हैं बीच नदी में पानी का बहाव बहुत होता है। (कई गांव के लोग भी परेशान) मामले में पड़ताल की गई तो लेड गांव कामता के अलावा अन्य गांव के लोग भी परेशान है क्योंकि यह सीधा मार्ग है जीराबाद होते हुए धार और इंदौर की ओर भी जुड़ जाता है लेकिन पुलिया निर्माण नहीं होने से लगभग एक दर्जन गांव के लोगों को लंबा चक्कर लगाना पड़ता है । (बड़ा ब्रिज है इसलिए निर्माण नहीं हो पा रहा) मामले में पड़ताल की गई तो पता चला कि यहां पर बड़ी नदी है ब्रिज लगभग 2 करोड रुपए की लागत से बनेगा क्योंकि जगह बहुत बड़ी है इसलिए व्यवस्थित और आधुनिक ब्रिज की जरूरत है इसलिए ग्राम पंचायत और अन्य एजेंसी यहां पर निर्माण नहीं कर पा रही है लगभग दशकों से ऐसी स्थिति बनी हुई है वर्तमान में लोग बहुत परेशान है यहां के ग्रामीण लोगों ने बख्तावर एक्सप्रेस की टीम को बताया कि 6 माह बारिश के परेशानी भरे होते हैं लंबा चक्कर लगाकर गुजरना पड़ता है। (ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने बनाया स्टीमेट) यहां के ब्रिज वाले मामले में लोक निर्माण विभाग प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग से जानकारी ली तो पता चला कि ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा यहां पर पुलिया निर्माण को लेकर दो बार तकनीकी स्टीमेट बनाए हैं और शासन स्तर पर प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेजा भी है लेकिन यहां पर अब तक प्रशासकीय स्वीकृति नहीं होने से निर्माण कार्य नहीं हुआ ग्रामीण लोग यही बताते कि अधिकारी आते हैं और नाप तौल करके चले जाते जमीन पर कोई काम नहीं है।
इनका कहना है
 समस्या हल करना मेरी प्राथमिकता में है। मैंने ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को पत्र लिखा था सर्वे भी कराया है एक बार फिर से मामले को दिखाता हूं पुलिया स्वीकृत करना मेरी प्राथमिकता में है। सर्वे के अलावा कुछ नहीं।
 सरदार सिंह मेडा  अध्यक्ष जिला पंचायत धार

अधिकारी आते हैं और सर्वे करके चले जाते हैं जमीन पर कुछ भी काम नहीं है स्कूली बच्चे जोखिम लेकर पानी के बीच स्कूल जाने पर मजबूर है ये तस्वीर अच्छी नहीं है यहां पर पुलिया निर्माण कार्य शीघ्र होना चाहिए।
प्रताप सिंह सिसोदिया सरपंच ग्राम पंचायत लेडगांव।

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