धन्य हुई बरमंडल की धरा मालव केशरी हितेशचंद्रविजय जी मसा बने जैन समाज के आचार्य श्री,जहा पर ली दीक्षा वही पर मिली आचार्य श्री की पदवी
आरिफ शेख
बरमंडल। बरमंडल वैसे तो एक छोटा सा गांव है लेकिन इस पवित्र धरा पर जन्म लेने वाली कई शख्सियतों ने इस धरा को गौरवान्वित किया है। धर्म से लेकर शासकीय नौकरी मे यहां के कई लोग शीर्ष पदों पर आसीन हुये है। 25 जनवरी को भी बरमंडल के लिये एक ऐसा ही गौरवान्वित छण आया जिससे यह गांव गौरवान्वित हुआ। बरमंडल की धरा पर जन्म लेने वाले जैन मुनि मालवकेशरी हितेश चंद्र विजयजी मसा को आचार्य श्री की पदवी से अलंकृत किया गया।
उल्लेखनीय है की सरदारपुर तहसील मे स्थित जैन समाज के तीर्थ मोहनखेड़ा के विकास प्रेरक गच्छाधिपति आचार्य श्री ऋषभचंद्र सुरीश्वर जी के देवलोकगमन के बाद से यह पद रिक्त था। विगत दिनो अनेक श्री संघ की बैठक हुई थी बैठक मे ऋषभ विजय जी के आज्ञानुवर्ती एवं मुनि जय प्रभ विजय जी के शिष्य मुनि श्री हितेश चंद्र विजय जी को आचार्य पद प्रदान करने की घोषणा हुई थी। इसी के परिपालन मे राजस्थान के भीनमाल मे आयोजन हुआ। जहा पर आचार्य पद प्रदान करने की विभिन्न क्रियाएं विधीपुर्वक कराई गई।
जीवन परिचयः- नवम पट्टधर हुए मालवा केसरी हितेश चंद्र विजय जी का जन्म बरमंडल की धरा पर 11 सितंबर 1970 को हुआ था। सांसारिक नाम मुकेश कुमार पिपाडा सदर बाजार के अंतिम छोर पर उनका पैतृक मकान था। साधारण परिवार के होने के कारण काम की तलाश मे परिवार राजगढ चला गया था। वही उनके ताऊजी कालूराम पिपाडा परिवार के साथ बरमंडल मे रहे। वर्तमान मे उनके परिवार के कांतिलाल पिपाडा एवं दीपक कुमार अपने परिवार के साथ रहते है। आचार्य श्री के पिता का नाम गेंदालाल पिपाडा एंव माता का नाम श्रीमती सुमन बाई पिपाडा है। एक भाई संतोष पिपाडा राजगढ मे रहते है तो दुसरे छोटे वाले भाई उन्ही से प्रेरित होकर दीक्षा ग्रहण कर दिव्य चंद्र विजय जी मसा है।
जहा पर की दीक्षा ग्रहण वही पर मिली आचार्य श्री की पदवीः – बरमंडल के मुकेश कुमार पिपाडा ने 4 मई 1987 को राजस्थान के भीनमाल तीर्थ पर दीक्षा ग्रहण की थी। उनका मुनि नाम मुनि हितेश चंद्र विजय मसा था। वही उनके गुरु ज्योतिषाचार्य जयप्रभविजयजी म.सा. है। आपकी बडी दीक्षा श्री मोहनखेड़ा तीर्थ पर हुई तथा 40 हजार किमी से अधिक की विहार यात्रा कर चुके है। जिसमे से मप्र,राजस्थान,गुजरात,महाराष्ट्र,कर्नाटक,उत्तप्रदेश,बिहार जैसे प्रमुख राज्य है। यही नही मनावर मे स्थित दादावाडी तीर्थ का विकास भी आपके ही मार्गदर्शन मे हुआ है। साथ ही यहा पर 77 इंच की दादा गुरूदैव राजेन्द्रसुरिश्वरजी मसा की खडी प्रतिमा है जो संपुर्ण भारतवर्ष मे केवल मनावर के दादावाडी मे ही विराजीत है।
मानद उपाधिः- आचार्य श्री हितेषचंद्रविजय सुरीश्वर जी को अभी तक शासन रत्न,मालवकेसरी,प्रवचन मार्तण्ड,शासन प्रभावक,युवा ह्रदय सम्राट,संघ समन्वयक जैसी मानद उपाधि से अलंकृत किया गया है।
आचार्य श्री हितेषचंद्रविजय सुरीश्वर जी को जैन धर्म के अलावा अन्य धर्म शास्त्रो को अच्छा खासा ज्ञान है। आचार्य श्री बनने के बाद आपने मोबाइल का उपयोग बिल्कुल नही करने की बात कही तथा कहा की जहा पर भी रहुॅगा वहा अति आवश्यक कार्य होने से ही बिजली का उपयोग करूॅगा। आपने समाज को संगठित करने का भी आह्वान किया।