उनकी निष्पक्ष व सटीक पत्रकारिता सामाजिक सद्भाव के प्रति भी पूरी तरह से समर्पित रही
विश्वास सिंह पंवार
बदनावर। बदनावर ही नहीं समूचे धार जिले के वरिष्ठ पत्रकार रियाज मोहम्मद कुरेशी की कल तीसरी बरसी हैं किंतु आज भी उनके चाहने वाले उनकी पत्रकारिता को बहुत शिद्दत से याद करते नहीं थकते हैं। कुरेशी का तीन साल पहले कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के कारण इंतकाल हो गया था। 3 साल बाद भी पत्रकारों के साथ ही गणमान्य नागरिकों की स्मृति पटल पर आज भी उनकी पत्रकारिता की चर्चा रहती है।
उनकी 45 साल की मैराथन अवधि तक चली एक ही अखबार नईदुनिया की पत्रकारिता की आज कोई मिसाल नहीं है। उन्होंने पाठकों के हितों को सर्वोपरि मानकर शुद्ध पत्रकारिता की। जिसका उदाहरण बरसों तक दिया जाता रहेगा। साथ ही समाज के हर वर्ग की समस्याओं एवं मांगों को अपने अखबार के माध्यम से बखूबी उठाया और उन्हें अंजाम तक पहुंचाया। कुरेशी की निष्पक्ष व सटीक पत्रकारिता सामाजिक सद्भाव के प्रति भी पूरी तरह से समर्पित रही और उन्होंने हमेशा इसके प्रति सजगता व सक्रियता से अपना फर्ज निभाया। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के बीच शांति और सौहार्द्र बनाए रखने में पत्रकारिता के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। इस दिशा में उनके प्रयासों को हमेशा शासन प्रशासन व सामान्य पाठक वर्ग की सराहना मिली। उन्होंने राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक अथवा किसी भी अवसर पर हमेशा मौके की नजाकत देखकर अपना पत्रकारिता धर्म निभाया। कभी अपनी कलम से ऐसी कोई बात नहीं लिखी जिससे किसी समाज की भावनाएं आहत हो या बेमतलब का बखेड़ा खड़ा हो या समाज के विभिन्न वर्गों में आपस में अविश्वास की खाई पैदा हो। उन्होंने हमेशा नगर या ग्रामीण समाज में मेल मिलाप एकता भाईचारे और आपसी तालमेल के लिए ही अपने अखबार के प्लेटफार्म का सकारात्मक उपयोग किया। समाज के नाजुक मसलों को सामने लाकर उनका निराकरण करने के लिए भी कभी अखबार को हथियार नहीं बनाया।
उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से शासन की किसी भी योजना का फायदा नहीं उठाया और न ही सक्रिय पत्रकारिता के बरसों में कभी किसी को ब्लैकमेल करते हुए अपना बैंक बैलेंस बढ़ाया। सच्चे अर्थों में उन्होंने शुद्ध व समर्पित भाव से पत्रकारिता की। इसीलिए उन्हें समाज के हर वर्ग का मान सम्मान व इज्जत मिली तथा उन्होंने इसे अपने पत्रकारिता जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार व सम्मान मानते हुए शिरोधार्य किया। साथियों ने बताया कि कुरेशी जब तक पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रहे उनकी कलम की तूती बदनावर क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे धार जिले में बोलती रही।
उनकी लेखनी की भरपाई आज भी अन्य कोई पत्रकार साथी नहीं कर पाया है। जब तक उन्होंने सक्रिय रूप से अखबार का काम किया तब तक जबरदस्त अध्ययन भी जारी रहा। उन्होंने हर विधा की ढेरों किताबें और पत्र पत्रिकाएं पढ़ी और इससे ज्ञान का भंडार दिनों दिन समृद्ध होता गया। इसका लाभ समाचारों के माध्यम से हजारों पाठकों को बरसों तक मिला। वे बहुत सोच विचार व परिपक्वता देकर खबरें बनाते तो उन्हें पढ़ने में भी पाठकों को मजा आता और संतुष्टि मिलती। उनकी खबरें पढ़ने के बाद पाठकों की हर तरह की जिज्ञासा शांत होती। यह भी उल्लेखनीय है कि उन्हें कभी कोई अधिकारी या नेता कोई खबर छापने या रुकवाने के बदले कोई प्रलोभन देने की हिम्मत नहीं कर सका।
उन्होंने अपने पत्रकारिता जीवन में कभी इस तरह खबरों को लेकर कोई समझौता नहीं किया। कभी उनसे इस बारे में कोई बात भी नहीं कर सकता था। पत्रकारिता के लंबे दौर में खबरों को लेकर कई बार ऐसे अवसर आए पर किसी ने सीधे तौर पर इतनी हिम्मत नहीं दिखाई और न ही बिकाऊ समझकर कुछ राशि के बदले खरीदने और किसी समाचार का प्रकाशन रुकवाने का कह सका।
उन्हें कोई बड़े से बड़ा नेता या अधिकारी भी किसी खबर के लिए किसी तरह की मदद करने के बारे में नहीं कह सकता था। उनके आचार विचार व्यवहार और आदतों से सभी अच्छी तरह वाकिफ थे। वैसे भी कुरेशी ऐसे लोगों से बचकर रहते तथा उन्हें हर व्यक्ति की पहचान थी कि कौन किस तरह का व्यवहार रखने वाला है तथा किस पर भरोसा किया जा सकता है।
इसीलिए उन्होंने कभी बिचैलियों के माध्यम से किसी तरह की जानकारी लेकर खबरें नहीं बनाई। वे स्वयं कई दिनों तक तमाम जानकारी जुटाकर खबरें कलमबद्द करते और इसीलिए वे अत्यंत प्रभावी मजबूत और तथ्यों से भरी पूरी लगती थी। जिनका दूरगामी असर होता था।
मीडियाकर्मियों के प्रेरणास्रोत रहे कुरेशी ने एक पूरे युग को अपनी बेमिसाल पत्रकारिता के माध्यम से सम्मोहित किया रखा और इसीलिए उनकी पत्रकारिता जगत और वकालत के क्षेत्र में दूर-दूर तक पहचान बनी रही। उनके मिलने जुलने वाले तथा मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र में गहरी दिलचस्पी रखने वाले हजारों पाठकों की राजनीतिक उठापटक से भरे लेख, हर तरह की घटनाओं पर उनकी सटीक टिप्पणी पढ़ने की उत्सुकता हमेशा बरकरार रहती थी और उसी आधार पर बाद में पाठक भी अपनी राय बनाते थे।
वे एक कुशल और अनुभवी पत्रकार होने के नाते समय की नब्ज पर हाथ रखने वाले कुशल भविष्यदृष्टा थे। जो समकालीन राजनीति में समय से आगे घटित होने वाली परिस्थितियों का आकलन व अनुमान लगा ले। इसी प्रकार छोटे-बड़े तमाम चुनाव के पूर्व की स्थिति का बहुत बारीकी से निष्पक्ष आकलन कर बता देते थे कि इस बार चुनावी हवा किसके पक्ष में हैं और उनका अनुमान कभी गलत साबित नहीं होता। अपनी टिप्पणियों और खबरों से माहौल बदल देने में समर्थ थे और कई बार उनके समाचार विश्लेषण अच्छे-अच्छे सूरमाओं को हैरत में डाल देते थे। अतीत वर्तमान और संभावित परिस्थितियों पर उनकी मजबूत पकड़ से हर कोई दांतो तले उंगली दबा लेता था।
अखबार के दफ्तर में बैठे पत्रकार, संपादक भी उनकी जबरदस्त पकड़ का लोहा मानते थे। इसके लिए उनका परिचय संचार व कंपनी के लोग जबरदस्त करमचंद की भूमिका निभाते थे। यही नहीं लोगों के साथ-साथ नेताओं अफसरों कर्मचारियों से भी बातों ही बातों में किस तरह अपने काम की बात उगलवा लेते थे वह हर कोई नहीं जान पाता था। सही खबर के लिए सही व्यक्ति व सही जगह तक पहुंचने में भी पारंगत तो थे ही किसी भी क्षेत्र की कोई भी खबर हो जब तक उसकी सच्चाई की गहराई से छानबीन नहीं कर लेते तब तक न तो अपनी ओर से इस बारे में किसी को भनक लगने देते और न ही कोई सूचना पीछे छोड़ते। जब भी उनके बारे में चर्चा होती तो अपने स्वभाव स्पष्टवादी तथा समर्पित व ईमानदार छवि के कारण कोई उंगली नहीं उठा सकता था।