एक बार फिर प्रदेश में कांटे का मुकाबला ,लाडली बहना योजना भारी पड़ी या ओल्ड पेंशन स्कीम का असर रहा तीन को पता चलेगा ,भाजपा मे परिणाम की स्क्रिप्ट तैयार जीते तो मोदी को श्रैय,हारे तो शिवराज की जवाबदेही तय
आरिफ शेख
सरदारपुर । मध्य प्रदेश में एक बार फिर कांटे का मुकाबला नजर आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा के बीच लगभग बराबरी की टक्कर रही। दोनों दल बहुमत के दावे कर रहे हैं लेकिन किसके दावे में दम है यह 3 दिसंबर को पता चलेगा। भाजपा को लाडली बहन योजना और सस्ते गैस सिलेंडर पर विश्वास है तो कांग्रेस ओल्ड पेंशन स्कीम और एंटी इनकंबेंसी के बल पर सत्ता वापसी का दावा कर रही है। जहां तक चुनाव प्रचार अभियान का प्रश्न है तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री ने जहां 150 से अधिक सभाओं को संबोधित किया है। वहीं कमलनाथ ने लगभग 115 सभाएं और रोड शो किए।
विधानसभा चुनाव खत्म होकर अब परिणाम का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे है। अभी तो केवल हार जीत को लेकर कागजी घोड़े दौड़ाने के साथ ही भाजपा एवं कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के आंकड़ों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के दावे कर रहे है। वैसे 5 दिनो बाद ही कागजी घोडे के साथ ही दावे की हकीकत का पता चल जायेगा की कौन कहाँ पर था।
वैसे खुफिया सर्वे एवं अंदरखाने की बात करे तो इस बार भी पिछली बार की तरह कांटे का मुकाबला नजर आ रहा है। कांग्रेस भले ही पूर्ण बहुमत ना पा सके लेकीन सबसे बडा दल जरूर बन सकता है। ऐसे मे सारी कमान निर्दलीयों के हाथो मे ही होगी।
भाजपा मे तो करीब-करीब जीत एवं हार की स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है बस 3 तारीख को फाइनल आंकड़ों का इंतजार है। यदि मप्र मे भाजपा बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखने मे कामयाब होती है तो जीत का सारा श्रेय पीएम मोदी को ही मिलेगा। जिस तरह से पीएम मोदी एवं अमित शाह ने प्रदेश मे तूफानी दौरे कर चुनाव प्रचार किया था उससे कुछ हद तक भाजपा को लाभ मिलने की बात कही जा रही है। वही यदि भाजपा सत्ता मे नहीं लौटी तो हार की सारी जवाबदेही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ही होगी। क्योंकि अंतिम समय मे टिकट वितरण मे जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हस्तक्षेप किया था उससे पार्टी का एक धडा नाराज बताया जा रहा है। करीब एक दर्जन सीटें ऐसी है जहां पर विरोध के बावजूद पार्टी ने प्रत्याशी नहीं बदले यदि इन सीटों पर हार होती है तो उसकी जिम्मेदारी सीएम पर ही होगी क्योंकि अधिकांश सीटों पर उनके समर्थक उम्मीदवार ही थे।
चुनाव प्रचार की बात करे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश मे 150 से अधिक चुनावी सभाएं की हो लेकिन हर सभा मे उनके भाषण की स्क्रिप्ट लाडली बहना और सस्ते गैस सिलेंडर पर ही केंद्रित रही। दोनों योजनाओं का बखान शिवराज सिंह चौहान ने अपनी हर सभा मे किया। जिस स्थान पर उन्होंने कम समय दिया वहां पर तो वे दोनों योजनाओं के अलावा अपनी सरकार की दुसरी महत्वपूर्ण योजनाओ को बता नही पाये। वैसे अब देखना है की लाडली बहना और सस्ता रसोई गैस सिंलेंडर भाजपा की जीत मे कितना बडा योगदान देते है यह तो तीन के बाद ही पता चलेगा।
उधर कमलनाथ ने नारी सम्मान योजना के तहत दिए जाने वाले 1500 रुपए महीना और ₹500 गैस सिलेंडर के अलावा बच्चियों को स्कूली शिक्षा में₹1500 महीना देने का वादा किया था। इसके अलावा प्रदेश के चार लाख कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम का वादा भी है। कांग्रेस को इन योजनाओं के अलावा एंटी इनकंबेंसी का भी सहारा है। कांग्रेस में भ्रष्टाचार, कानून और व्यवस्था के मुद्दों के अलावा आदिवासी और किसानों पर अत्याचार के मुद्दे भी उठाएं। किस मुद्दे का जनता पर असर हुआ इसका पता 3 दिसंबर को ही चलेगा।