घोषणा करके भूले मामा,भावांतर का विक्रय प्रमाण पत्र संभालकर किसान कर रहे राशी का इंतजार
कांग्रेस भी नही उठा पा रही किसानों के हक की आवाज,चंद माह बचे है चुनाव मे
आरिफ शेख
सरदारपुर। प्रदेश मे जब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता संभाली है तब से वह किसानों की आय को दोगुना करने की बात कह रहे है। लेकिन आज तक किसानों की आय दोगुना नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री की किसान हितेषी यह घोषणा केवल वादो तक ही सीमित होकर रह चुकी है।
2018 के विधानसभा चुनाव के एक साल पहले 2017 मे मुख्यमंत्री ने किसानों के लिए भावांतर योजना लागू की थी इस योजना मे सोयाबीन का माडल भाव तय किया गया था। यदि किसानों की उपज कम भाव मे बिकती है तो सरकार उनके खाते मे 500 रु प्रति क्विंटल की राशि डालेगी। इसमें शर्त यह थी की किसानों को अपनी उपज मंडी मे बेचना थी । सरकार की यह योजना किसानों को अच्छी लगी। लेकिन योजना के लागू होने के बाद सोयाबीन की भावों मे गिरावट आकर सोयाबीन के दाम 2400 से 2700 के बीच ही रह गये। इस योजना मे जिन किसानों ने मंडी मे अपनी उपज विक्रय की थी उन्हें प्रति क्विटंल 500 रू का भावातर देने की बात कही गई साथ ही उपज विक्रय के बाद किसानों को मंडी से बकायादा विक्रय प्रमाण पत्र भी दिये गये। लेकिन 500 रुपये के लालच मे फंसे किसानों ने अपनी उपज तो भावांतर मे मंडी मे बेच दी लेकिन पांच साल बाद भी उन्हें भावांतर की राशि नहीं मिल पाई है। एक अनुमानित आंकड़े की बात करे तो सरदारपुर तहसील मे ही करीब 15 हजार किसानों ने अपनी उपज भावांतर मे तौली थी। जिसकी भावांतर राशि करीब 20 से 30 करोड़ होगी। यह तो मात्र सरदारपुर तहसील का आंकड़ा है। जानकारों की मानो तो पूरे प्रदेश मे आज तक एक भी किसान को भावांतर की राशि नहीं दी गई है।
खेर 2018 मे चुनाव मे भाजपा सत्ता से हट गई लेकिन 15 महीने बाद फिर सत्ता मे काबिज हो चुकी है लेकिन आज तक किसानों को उनकी भावांतर राशि का भुगतान नहीं किया गया।
किसानों के की आवाज बुलंद नहीं कर पा रही विपक्षी कांग्रेस- कांग्रेस विपक्ष की भूमिका मे है लेकिन इस मुद्दे पर आज तक सरकार को नही घेर पाई है। ऐसा नही की यह मामला कांग्रेसी नेताओं के संज्ञान मे नहीं है बल्कि अधिकांश कांग्रेस नेताओं को इस मामले की जानकारी है लेकिन वे इसे भुना नहीं पा रहे है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी विधानसभा मे गेहूं के दाम 3000 रुपये क्विंटल करने की बात उठा रहे है लेकिन इतने बडे मुद्दे पर भाजपा को घेर नहीं पा रहे है।
वैसे यदि विरोध की बात हो तो भाजपा से अच्छा कोई नही है। भाजपा जब विपक्ष मे थी तो महंगाई किसानों के हित मे इतनी जोरदार तरीके से विरोध प्रदर्शन होते थे की सरकार तक हिल जाती थी। प्रदेश मे सत्ता जाने के बाद जिस तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हित मे बारिश के बीच खेतो मे जाकर किसानों के पक्ष मे आवाज बुलंद की थी उस तरह का विरोध प्रदर्शन किसानों के हित मे कांग्रेस नहीं कर पा रही है।
पसीना बहाकर पैदा करते है उपज,बाजार मे आते ही शुरू हो जाता है शोषण:- किसान लोकेंद्र सिंह मौलाना ने बताया कि किसान सर्दी,बारिश और गर्मी मे पसीना बहाकर उपज पैदा करता है लेकिन जब भी बाजार या मंडी मे बेचने जाता है तो उसका शोषण शुरू हो जाता है। किसानों के हित मे घोषणा की जाती है लेकिन उसका पूरा लाभ नहीं दिया जाता फसल बीमा को ही देख ले नुकसानी का आंकलन कर जो राशि प्रदान की जाती है वह मात्र ऊँट के मुँह मे जीरे के समान होती है। किसान लोकेंद्र सिंह मौलाना ने बताया की यही हाल 2017 मे लागू की गई भावांतर योजना का भी रहा है 500 रुपये के लालच मे हमने भावांतर योजना मे मंडी मे जाकर सोयाबीन तोला लेकिन आज तक भावांतर की राशि नहीं दी गई। पाँच साल से हम मंडी के द्वारा फसल तौलने के उपरांत दिये गये विक्रय प्रमाण पत्र को संभाल कर रखे हुए है। किसान लोकेंद्र सिंह ने बताया की उनके परिवार की भावांतर राशि करीब 2.5 लाख होती है यही नहीं उनके गांव मौलाना के सैकड़ों किसानों ने भी भावांतर मे अपनी उपज बेची थी लेकिन उन्हें भी आज तक भावांतर की राशि नहीं मिल पाई है। वही किसान संजय,योगेन्द्रसिंह,यषवंत कुवर ,ओम पाटीदार आदि ने भी बताया की उन्होने भी भांवातर मे 2017 मे उपज विक्रय की थी लेकिन उन्हे भी आज तक भावातर की राषी नही मिल पाई है। सरकार एक और तो विकास यात्रा निकाल रही है वही लाडली बहना जैसी योजना भी लागु कर रही है लेकिन दुसरी और किसानो के भांवातर की राषी नही दे रही है। किसान लोकेंद्र सिंह मौलाना ने बताया की यदि सरकार जल्द ही भावांतर की राशी का भुगतान नहीं करती है तो हमे आंदोलन के लिये मजबूर होना पडेगा।